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कैसी होती है जीवन के बाद की दुनिया[3]Life after Death[3]

  • vb0352
  • Jan 26, 2023
  • 3 min read

मृतकों में अपना शरीर तलाश रहा था सैनिक

War Veteran was looking for his own body among corpses

एक व्यक्ति ने बताया कि अपने शरीर से निकलने के बाद उसने अपने को आर्मी अस्पताल के एक वार्ड में पाया, वहां उस जैसे कई युवक उसी की उम्र और कद-काठी के थे। वास्तव में वह सारे शरीरों को इसलिए देखते हुए गुजर रहा था कि उसका अपना शरीर कौन सा है यह उसे पता चले। एक व्यक्ति भीषण दुर्घटना में अपनी दोनों बाहें खो चुका था। उसने बताया कि अपने शरीर से निकलकर वह ऑपरेशन टेबल के आस-पास चक्कर लगाते हुए ऑपरेशनकिए जाने वाले व्यक्ति पर तरस खा रहा था। बाद में उसे पता चला कि ऑपरेशन किया जाने वाला वह शरीर उसी का है। अपनी भौतिक काया की शिनाख्त ऐसा बिंदु है, जहां पर एनडीयर्स को भय और भ्रम होता है, पर बाद में उन्हें सही स्थिति का आभास हो जाता है कि उनके शरीर के साथ क्या कुछ किया जा रहा है। डॉ. रेमंड ने अपने सर्वेक्षण में पाया कि वे लोग, जिन्हें मेडिकल शब्दावली का थोड़ा भी अहसास नहीं होता वे भी डॉक्टरों की आपसी बातचीत समझ लेते हैं। कई बार वे आसपास के लोगों से कुछ कहते हैं, लेकिन मौजूद लोगों में से कोई भी उनकी बात नहीं सुन पाता। कई बार वे लोगों को अपने हाथ से छूने की कोशिश करते हैं, पर वह हाथ लोगों के शरीर से ऐसे गुजर जाता है मानो उनका हाथ बिल्कुल शून्य का बना हो, बिना उनके शरीरों को छुए वह आर-पार हो गया।

एक घटना तो डा. रेमंड की एक महिला मरीज के साथ हुई। महिला की हृदय गति रुकने के बाद डॉ. रेमंड ने उसका चेस्ट मसाज शुरू किया, जिससे हृदय धड़कना फिर शुरू हो जाए। बाद में उस महिला ने उन क्षणों को याद करते हुए बताया कि समाज के समय ही शरीर से निकल कर वह अशरीरी हो गई और बेड पर पड़े अपने शरीर को देखती रही। वह सब करने से रोकने की कोशिश करती रही, जो वह अपनी मरीज को जिंदा करने के लिए कर रहे थे। उसे लग रहा था, वह बिल्कुल ही ठीक-ठाक है। डॉ. रेमंड खामखां ही हलकान हुए जा रहे हैं। डॉक्टर रेमंड ने कुछ नहीं सुना, लेकिन जब उसकी नसों में इंजेक्शन देने लगे तो उसने उनका हाथ पकड़ कर रोकने की पूरी कोशिश की। काश वह पकड़ पाती। उसका हाथ बिल्कुल डॉक्‍टर रेमंड के हाथ से आर-पार हो गया।

आखिर अशरीरी क्यों चाहते हैं कि उनकी काया के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जाए ? एक स्वाभाविक सा प्रश्न! इस अशरीरी स्थिति में होने के बाद एक महिला ने बताया कि तब मैं अपने पति की पत्नी नहीं थी, अपने बच्चों की गार्जियन नहीं थी, न ही अपने गार्जियन की बच्ची। तब मैं केवल मैं थी। एक महिला ने बताया कि उस समय ऐसा लग रहा था, जैसे कोई बैलून धागे से काट दिया गया हो और ठीक इसी बिंदु पर सारा भय और भ्रम हर्ष में बदल जाता है। एक असीम शांति का अहसास होता है। जब तक मरीज अपने दैहिक शरीर में रहता है, उसे असह्य वेदना होती है, पर जैसे ही रिबन कटता है यह पीड़ा, शांति और वेदना रहित होती है। वास्तविक शांति का अहसास होता है। डॉक्टर रेमंड ने कई हृदय रोगियों से बातचीत करने पर पाया कि उनकी असह्य वेदना और दुश्चिंताएं अशरीरी अवस्था में आह्लाद के क्षणों में बदल गईं। कई अनुसंधान करने वालों ने बताया है कि जब भी मस्तिष्क को असह्य वेदना अनुभव होती है, मस्तिष्क से ऐसे रसायनों का स्राव होता है, जिससे वेदना की अनुभूति रुक जाती है। अभी तक ऐसे प्रयोग नहीं किए, जिससे यह पता चले कि वास्तव में सह सिद्धांत सही ही है। अशरीरी (अनुभव) आउट ऑफ बॉडी एक्सपीरिएंस (ओबीई) कैसा होता है, इसके बारे में अनुभवी कोई बहुत ठोस उत्तर नहीं दे पाए, जिससे सही-सही यह पता चले कि अशरीरी किस तरह के होते हैं। कुछ लोगों ने इसे कई रंगों की घटनाओं वाले बादल की तरह कहा। कुछ ने बताया कि जब वह इस अशरीरी अवस्था में थे, तो उन्होंने अपना हाथ देखा- लगा कि पूरा हाथ प्रकाश से बना है और उसमें कई छोटी-छोटी कणिकाएं बनी हुई हैं। अंगुलियों की छाप की तरह कई चक्र बने हुए थे और वहां से प्रकाश का एक ट्यूब जैसा ऊपर की बांह तक पहुंचता था।

एक बार थोड़ा रुक कर हम यहां सोचें कि लाइट एट दि एंड ऑफ ए टनल जैसा मुहावरा हमारे प्रयोग में कहां से आया। गेंद एक बार फिर भाषाविदों के पाले में।


 
 
 

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